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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Jindagi

जिन्दगी चलती है चलते रहो,
वक्त के साथ थोड़ा बदलते रहो ...
राह मुश्किल भी निकल जाएगी,
ठोकरें खा के भी थोड़ा संभलते रहो ...

अंधेरा तो जुगनू से भी घबराता है,
सूर्य ना हो तो चरागों सा जलते रहो ...
उम्र भर कोई यहाँ साथ नहीं देता
अकेले हो कर भी थोड़ा हँसते रहो ...

कोई खुश्बू कोई स्थिति ऐसी नहीं,
जो जिन्दगी भर एक सी रहती हो ...
छोटा सा जीवन है तुम्हारा,
छोटे से जीवन वाले फूल सा महकते रहो॥

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