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Love

  बैठा हूँ उसी छत के कोने में, जहां कभी हम दोनों बैठा करते थे। वो चांद, वो सितारे, आज भी वहीं हैं, पर अब उनकी रौशनी कुछ फीकी लगती है.. तब कुछ बातें तुम्हारी होती थीं, और हम हल्के से मुस्कुरा देते थे.. तुम्हारी आंखों में शर्म का वो प्यारा सा एहसास, अब सिर्फ एक याद बनकर रह गया है.. वो चांद अब भी वही है, पर उसकी चांदनी में वो पहले सी चमक नहीं.. तारों की टोली भी अब कुछ अधूरी लगती है, जैसे हमारे रिश्ते की तरह कुछ कम हो गई हो.. कभी ये जगह हमें सुकून देती थी, अब बस यादों का भार लिए चुपचाप खामोश खड़ी है.. जहां कभी बातें होती थीं,वहा अब बस ख़ामोशियाँ घिरी रहती हैं.. यादों की गीली लकड़ियाँ, मन के किसी कोने में धीमे-धीमे सुलगती रहती हैं वो ठंडी आहटें अब भी हैं, पर वो गर्मी जो दिल को छूती थी, कहीं खो गई है आंखें अब पसीजती नहीं, वो आंसू भी शायद थक गए है.. बस एक भारीपन है, जो इस जगह से निकलने का नाम ही नहीं लेता.. अब इस छत पर आना, सुकून कम और दर्द ज़्यादा देता है.. वो समय तो बीत गया, पर यादें आज भी यहां की हर ईंट में बसी हैं.. शायद, कुछ चीज़ें वैसे ही रह जाती हैं— मद्धम, अधूरी, जिन्हें समय भी बदल नह

कुछ अनकही बाते..

कोई नहीं जानता इस सोशल-मीडिया पर किस का कौन-सा पोस्ट आखिरी है? कौन सा कमेंट आखिरी है? बहुत पहले मैंने एक पोस्ट देखी, जिसमें मराठी में लिखा था- " आई-बाबा (माता-पिता) मुझे माफ़ करना.. मैंने जिस आसमान में उड़ने का सपना देखा था, उस आसमान से तीर बरसते हैं..मैं हिम्मत नहीं कर पाया..

इस पोस्ट को सैकड़ों शेयर मिले थे.. मैंने उस लड़के को स्टॉक किया। उसकी बाक़ी पोस्ट्स पर दो-चार लाइक्स थे..
फ्रेंडलिस्ट में पचास से ज्यादा लोग नहीं..दो-दिन बाद मैंने फिर चेक किया तो उसकी प्रोफ़ाइल रिमेम्बरिंग आ रही थी..
 उसने मुम्बई लोकल के सामने कूदकर जान दी थी..

हम सब भी तो यही करते हैं.. किसी के जीते जी उससे बात करना नहीं चाहते, और उसके मरने के बाद चार-साल पहले की बातें चेक करते हैं.. जाने-अनजाने में मौत हमें अपनी दस्तक का सुबूत देते रहती है.. मृतकों से किए वादे अक्सर निभाए जाते हैं,क्योंकि वे अब हमें छोड़ चले हैं और हमारे पास है केवल उनकी यादें और उनको दिए हमारे वचन जो निभाने को हम बाध्य है ..देखिए ना किस तरह हम में से कई लोग अपने गुजर चुके स्वप्नों के लिए कितना कुछ करते हैं..


ऐसे कितने की कम हम अपने वचन पालन के लिए करते हैं..
शायद हमारा हृदय उन्हें निभा कर स्वयं में संतोष खोजता है और साथ ही यह कल्पना करता है कि ऐसा करने से दूर जा चुके प्रियजन से कुछ जुड़ाव रखा जा सकता है..

क्यों, ऐसा क्या है उन यादों में, जो जीवित को बांधे रखता है.. और हम जब इंसान जिंदा होता है क्यों नहीं उसे समझ पाते? ऐसी कौनसी चीजे होती हैं कि कभी कभी हम एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते .. या उनसे बात भी नहीं करते .. और वहीं इंसान मर जाने के बाद उन यादों से लोग जुड़ जाते है ..!!



न्यूज़-मीडिया में काम करनेवाले एक लड़के ने ट्विटर पर ट्रोल होने के बाद लिखा-
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" अब तो जाते हैं बुत-कदे से 'मीर'
फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया "

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