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Stories that never Been told to anyone

 I dreamed with you. Yes, your dream became mine. I carried it with the same fire that once lived in your eyes. When you were tired, I worked twice as hard for us. When the world mocked your madness, I stood tall beside you, defying their laughter with silent faith. When doors closed and lights dimmed, I was the one holding the candle, whispering, “We’ll make it.” I believed in you when no one else did. I was your echo when you had no voice, your spine when you couldn’t stand straight. And yet  you questioned me. You bruised me not with fists, but with words that cut deeper than silence. You mocked my loyalty, made me a punchline in your story. You let people laugh at me, knowing I was the one who built the stage you now stand on. When victory finally knocked, I thought we’d open the door together. But you handed the key to someone else. You forgot the sleepless nights, the unpaid hours, the tears I hid just to keep your dream alive. You forgot me. And that’s when I learned lo...

कुछ अनकही बाते..

कोई नहीं जानता इस सोशल-मीडिया पर किस का कौन-सा पोस्ट आखिरी है? कौन सा कमेंट आखिरी है? बहुत पहले मैंने एक पोस्ट देखी, जिसमें मराठी में लिखा था- " आई-बाबा (माता-पिता) मुझे माफ़ करना.. मैंने जिस आसमान में उड़ने का सपना देखा था, उस आसमान से तीर बरसते हैं..मैं हिम्मत नहीं कर पाया..

इस पोस्ट को सैकड़ों शेयर मिले थे.. मैंने उस लड़के को स्टॉक किया। उसकी बाक़ी पोस्ट्स पर दो-चार लाइक्स थे..
फ्रेंडलिस्ट में पचास से ज्यादा लोग नहीं..दो-दिन बाद मैंने फिर चेक किया तो उसकी प्रोफ़ाइल रिमेम्बरिंग आ रही थी..
 उसने मुम्बई लोकल के सामने कूदकर जान दी थी..

हम सब भी तो यही करते हैं.. किसी के जीते जी उससे बात करना नहीं चाहते, और उसके मरने के बाद चार-साल पहले की बातें चेक करते हैं.. जाने-अनजाने में मौत हमें अपनी दस्तक का सुबूत देते रहती है.. मृतकों से किए वादे अक्सर निभाए जाते हैं,क्योंकि वे अब हमें छोड़ चले हैं और हमारे पास है केवल उनकी यादें और उनको दिए हमारे वचन जो निभाने को हम बाध्य है ..देखिए ना किस तरह हम में से कई लोग अपने गुजर चुके स्वप्नों के लिए कितना कुछ करते हैं..


ऐसे कितने की कम हम अपने वचन पालन के लिए करते हैं..
शायद हमारा हृदय उन्हें निभा कर स्वयं में संतोष खोजता है और साथ ही यह कल्पना करता है कि ऐसा करने से दूर जा चुके प्रियजन से कुछ जुड़ाव रखा जा सकता है..

क्यों, ऐसा क्या है उन यादों में, जो जीवित को बांधे रखता है.. और हम जब इंसान जिंदा होता है क्यों नहीं उसे समझ पाते? ऐसी कौनसी चीजे होती हैं कि कभी कभी हम एक दूसरे को देखना भी पसंद नहीं करते .. या उनसे बात भी नहीं करते .. और वहीं इंसान मर जाने के बाद उन यादों से लोग जुड़ जाते है ..!!



न्यूज़-मीडिया में काम करनेवाले एक लड़के ने ट्विटर पर ट्रोल होने के बाद लिखा-
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" अब तो जाते हैं बुत-कदे से 'मीर'
फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया "

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