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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Pyar

 मीरा सा पागल, अधूरी राधा के इन्तजार सा है प्यार

गंगा सा निर्मल, पूरी गीता के हर सार सा है प्यार

कैसे बतलाऊ कैसा है ये प्यार..


हीर की हर मंजिल में रान्झे की राह सा है प्यार

मजनू के हर घाव में लैला की आह सा है प्यार

कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार...


सबरी के चखे उन मीठे जूठे बेरों सा है प्यार

अहिल्या ने चूमे राम के पावन पैरों सा है प्यार

कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार..


इतना सच्चा, इतना पवित्र कैसे है ये प्यार

ये जो तुम मुझमें बस गए हो हां शिव बस यही है प्यार ..

कैसे बतलाऊं कैसा है ये प्यार ..


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