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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

जिंदगी

 मनु पता नही आप हमे पढ़ते हो भी के नही .. आजकल कहा हो क्या कर रहे कुछ भी नही पता बस बहुत ज्यादा याद आ रहे क्यों नही पता .. क्या तुम्हे सच में कभी याद न आई हमारी 😐

और हम देखो अब भी तुमसे उतना ही प्रेम करते है जितना उस वक्त करते थे !!

जिंदगी कभी तो लौट आओ देखो बैगैर तुम्हारे क्या हाल कर रखा है खुद का हमने ! जिंदा लाश बनकर रह गए है अंदर से खुद से भाग रहे एक साल से ! लगता की तुम एक बार पुकार लोगे अरु कैसी हो !!काश कभी ऐसा होता मनु की तुम कहते अरु हमे भी याद आती है तुम्हारी !!

बेवकूफ है जो तुम्हे इतना प्रेम करते है ! 


खुश रहना हमेशा !! 

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