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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

KHWAISHE

बेवफाई को भी तेरी राज रखा  है मैंने
बेपनाह मोहबत  का ये अंदाज़ रखा  है मैंने !
छलकती है आज भी कभी तनहाई मे आँखे  
तो लगता है खुद को नाराज़ रखा  है मैंने !
कर बैठे है गुनाह इश्क़ का तो सजा मिली है 
इसिलए सबसे दूर रखा  है खुदको मैंने !
मुहबत के मायने तुझीसे थे मेरे !
ये अल्फाज बस मेरे साथ रखे है मैने!

:  खुशी
१९/०७/२०१६








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