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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

उम्मीद......

उम्मीदों से बंधा एक जिद्दी परिंदा है इंसान
घायल भी उम्मीदों से है
और जिन्दा भी उम्मीदों पर है !!!!


उम्मीद  ... एक ऐसा छोटा सा शब्द जिसपर शायद पूरी दुनिया कायम है..
उम्मीद हर किसे के जीने का सहारा है ..
 सुबह होती  है तो एक नयी उम्मीद के साथ  ...
हर किसी के  उम्मीदों का  काफिला अलग सा होता है
एक उम्मीद ही तो है जो हार कर भी जितने की उम्मीद से ही तो फिर से खड़ा करती है। ..
कभी कभी इंसान जब लड़ते लड़ते थक जाता है
 उसे  जितने  की ख़ुशी का एहसास दिलाती है   "उम्मीद "..
कभी कभी सबकुछ हार जाने के बाद  सहारा देती है वो भी है "उम्मीद "
 अगर इंसान को उम्मीदे  न हो  तो शायद वो जिंदगी भी न जी पाए। ..
अगर कोई आपसे दूर है तो फिर उसके मिलने की आस  होती है  "उम्मीद "
ढलते सूरज के बाद फिर से चढ़ने की वो है  "उम्मीद "
गिरते हुए को संभाले वो है  "उम्मीद "
कभी कभी घायल भी करती है ये  "उम्मीद " और
वही घाव पर मरहम  है  "उम्मीद"
टूट कर बिखरने के बाद संभलने की ताकत है  "उम्मीद"
अच्छे बुरे वक़्त सा सबसे बड़ा जिंदगी मैं कोई सहारा है  "उम्मीद "
जिंदगी मैं अगर हौसला है तो किनारा है  "उम्मीद"
मंजिले को हासिल करने का हौसला है  "उम्मीद" .....
और शायद जिंदगी जीने का तरीका है " उम्मीद "
इसीलिए उम्मीदों का दामन कभी छोडना नहीं चाहिए ..
क्योंकि हार कर भी जितने का मज़ा है  "उम्मीद "
                -ख़ुशी






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