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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Life..... by mere alfaz








" 'हमसे' 'मुकम्मल' हुई ना 'कभी'... 'ए- जिन्दगी' ....'तालीम' तेरी

रूह तक उतर गया है कोई ग़म शायद...
मुस्कुराने की हर कोशिश नाकाम सी है.!!!

'शागिर्द' कभी 'हम' 'बन' न सके और 'उस्ताद' तूने 'बनने' ना दिया
Whenever I am lost I always open this FB page of mere alfaz ..and feel fresh words are really magical...it always reflect my moods... Thanks ....
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