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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

कुछ पल....

#  हमने खुदा से पूछा किंमत क्या है प्यार की,
उसने कहा आँसूं भरी ज़िन्दगी और उम्र भर इंतज़ार की !!
#  थोडी मुस्कुराहठे ऊधार दे दे मूझे
ए ज़िन्दगी,
कुछ 'अपने' आ रहे हैं..
मिलने की रस्म निभानी है.!!
#  मोहब्बत और नफरत दोनों मिल चुके है,
इन्तजार बस अब उस मौत का है मुझे !!

#फरेबी भी हूँ, ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ,
मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते !!
#खोया ही है सब कुछ हमने
 पाना किस्मत में न था
ख्वाबों में तो वो मेरा था,
 न था तो हकिकत में न था।
गमों से ही होता रहा सामना,
हंसना तकदीर में न था,
टूट गया वो बन्धन,
 दम रिश्तों की जंजीर में न था।।
# इतनी बदसलूकी ना कर ऐ जिदंगी .....
हम कौन सा यहाँ बार बार आने वाले है ...
सुना है जिदंगी इम्तहान लेती है .....
यहाँ तो इम्तहानों ने जिदंगी ले रखी है ... ...
# अकेले ही तय करने होते है कुछ सफ़र,
ज़िन्दगी के हर सफ़र में हमसफ़र नहीं होते ।।
#ठोकर खाया हुआ दिल है साहब,
भीड़ से ज़्यादा तन्हाई अच्छी लगती है !!
#ए जिंदगी ! मुश्किलों के कुछ हल दे,
बहुत थक गये है फुरसत के कुछ पल दे !!

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