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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

कुछ पल... ठहर जा ए जिंदगी...

ठहर जा ए जिंदगी अभी कुछ पल जीने बाकी है।
हमे पता है कि अब हमारे पास बस कुछ ही दिनों का वक्त है 
पर हम बस कुछ पल चाहते हैं,अपने लिए थक गए हम भागते भागते सोचा था कि अब तो कहीं सुकुन मिलेगा कहीं तो कोई होता हमे चाहने वाला हमे भी कोई समज पाता हमारे अंदर उमड रहे तुफान को भी कोई समज पाता!
पर जो भी मिला बसने बस अपने मतलब के लिये इस्तमाल किया और हमे छोड़ कर चला गया। बचपन से अकेले डरे सहमे हुए से तड़प रहे हैं। अब तो किसी पर एतबार नहीं कर पा रहे हैं।

भर गया मन खुद ही की जिंदगी से ये....
उम्र ही कम पड़ गई तुझे समझते समझते ..

लफ़्ज़ों में ज़ाहिर करूँ तो, मेरी ख्वाहिश की तौहीन होगी....!
तू मेरी रूह में उतर के समझ ले मेरी हसरतों को.....!!

किसी की अंतिम फरमाइस पे....
मुझे डर नहीं है अब
किसी को खोने का...
मैंने ज़िन्दगी में ज़िन्दगी खोई है...!

Comments

  1. मैंने bhi ज़िन्दगी में ज़िन्दगी खोई है...! 😔

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