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Dear December ❣️

 डियर दिसंबर, तुमसे इश्क़ क्यों है, ये बताना आसान नहीं ..तुम्हारे आते ही नए साल की गिनती शुरू हो जाती है,पर मेरे लिए तुम सिर्फ एक महीना या तारीख नहीं, एक दरवाजा हो—नए सफर, नई कहानियों और नए रास्तों का जो मेरी मंजिलों के और भी मुझे करीब लेकर जाता है ... तुम्हारी ठंडी हवाएं जब चेहरे को छूती हैं, लगता है जैसे पुराने गमों को उड़ाकर ले जा रही हो.. हर बार उसी मलबे में एक नई राह दिखाई है.. शायद इसलिए मैं तुम्हें हर बार एक उम्मीद की तरह देखती हूं.. तुम्हारे आते ही पेड़ों से गिरते पत्ते मुझे सिखाते हैं, कि कुछ छोड़ देना भी जरूरी होता है आगे बढ़ने के लिए.. तुम्हारी शफ्फाक शामों में, जब सूरज धीमे-धीमे डूबता है, मैं खुद को तुम्हारी गोद में एक बच्ची की तरह पाती हूं.. सहमी हुई, पर भरोसे से भरी...तुम्हारे साथ मैं अपना सारा बोझ हल्का कर देती हूं...तुम्हारी दस्तक हमेशा रहती है, एक दुआ की तरह, एक बदलाव की तरह.. तुम्हारी रूह की सर्दियों में जीते हुए, गुजरे हुए साल के लम्हों को फिर से जीती हूं ... ताकी इस गुजरे हुए साल की यादें छोड़कर आगे नए साल में बढ़ पाऊं .. नई उम्मीदों के साथ .. कुछ साथी जो साथ चल...

मेरी कहानी.....

☆☆मेरी एक  कहानी ☆☆
☆☆ सुनो मेरी ही जुबानी ☆☆

☆☆बहुत खुश हूँ मैं फिर भी ☆☆
☆☆बहता है आँखो से पानी ☆☆

☆☆उदासी ओढ़े  और अकेला हूँ ☆☆
☆☆ पर चेहरा है नूरानी ☆☆

☆☆दिल मे ढेरो जख्मों को सहेजे☆☆
☆☆खुशिया बाटता हूं ☆☆

☆☆गर कोई हो उदास तो☆☆
☆☆ उसके लबों पर हंसी लाता हूं ☆☆

☆☆मेरी चाहत है बस यही ☆☆
☆☆बस अपनो का मिले प्यार ☆☆

☆☆मेरी किस्मत में नहीं था☆☆
☆☆ये मेरे नसीब की मेहरबानी ☆☆

☆☆बहुत कुछ पाया है☆☆
☆☆ तो खोया भी बहुत कुछ है ☆☆

☆☆बस गमों और दर्दो में अक्सर ☆☆
☆☆बहता आंखो से थोड़ा पानी ☆☆

☆☆लाख मिटा लूं अपने जख्मों को पर☆☆
☆☆बीते दिनों की रह जाती है निशानी☆☆☆

Comments

  1. लाख मिटा लूं अपने जख्मों को पर
    बीते दिनों की रह जाती है निशानी. ✍️💕❤️

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