Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

तुम्हारा खयाल...

कुछ शामें बाकी शामों से ज्यादा उदास होती है ..कुछ शामें उन शामों की याद दिलाती है जिन शामों में तुमने मुझे कहीं मिलने को कहा था.. और में नहीं आई थी...तुम्हारा वाला कैफे, तुम्हारी वाली कॉफी, थोड़ी सा चख लेती हूं तुम्हे , तुम्हे बोले बैगर.....!!

Comments

Popular Posts