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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Prem

एक शख़्स होता है ज़िन्दगी में जिसके आगे आप सबकुछ हार जाते हैं आपका प्यार आपका गुस्सा,आपकी नफ़रत आपका ईगो आपकी "सेल्फ रेस्पेक्ट"आपकी डिग्निटी सबकुछ!आप चाहे लाख कोशिश करलें मगर आप उस शख़्स से निकल नहीं पाते हैं तब भी जब वो आपका दिल दुःखा चुका हो तब भी जब वो आपको इग्नोर कर रहा हो..मेरे लिए तुम बिल्कुल ऐसे ही हो। तुमने हमेशा सब चाहा,कहा और मैं हमेशा उन चीज़ों को  मानती आई। तुमने दिन को रात कहा मैंने कभी नहीं चाहा कि वो दिन हो। तुम मेरी ऐसी कमज़ोरी बन गए जिसके लिए मैं कमजोर बनती चली गयी मैंने कहा ना तुम्हारे प्यार के आगे सब धरा रह जाता है।तुम कई बार मेरा दिल दुखाते हो तुम्हारा मुझ से नाराज़ हो जाना,या यह कह देना मेरे होने ना होने से तुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है बात ना करना। या कभी कभी अनमने मन से बात करना मुझे अंदर से तोड़ देता है...!!


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