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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Holi.....!!

सुनो, होली आ रही है...तुम भी आ जाना मुझसे मिलने ,रंग लिए ढ़ेर सारे..!!

मैं ना करू.. तो भी रंग देना मुझे सात रंगो से...वो सुर्ख लाल रंग ,तुम मेरे चेहरे के नूर को थोडा और बढ़ा देना..!!

लाओगे जो वो रंग गुलाबी...सुनो चुपचाप मेरे गालों पर लगा देना....जो शर्म से नज़रे झुक जाएँ मेरी ...तुम हौले से कोई प्रेम गीत गुनगुना देना..!!

छन छन करके गूंजेगी हर दिशा में प्रीत अपनी...तुम वो चमकीला रंग मेरे पैरों में सजा देना..!!

ख्वाब हूँ मैं तुम्हारा ...ये सच ,मुझे तुम बता देना...और वो सुनहरा रंग फिर मेरे सपनो पर उड़ा देना..!!

आना तो ऐसे आना...मुझपर इश्क का बेसुमार रंग चढ़ा जाना..... सुन भी लो अपने दिल की बात... होली आ रही है...तुम भी मुझसे मिलने आ जाना..!!

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