सुनो में तुमसे कहना चाहता हूं कुछ ...अब जब मैं मुक्त हो गया है इस देह से ... अपने देशसेवा के कर्त्तव्य से ...में जब भी सरहद पर जाता था तुम रो रो कर अपना बुरा हाल बना लेती थी ... में तुम्हे मुड़कर ये भी नहीं कह पाता के रो मत में लौट आऊंगा ... अगर में वादा नहीं निभा पता तो ?
तुम समझ रही हो ना ... में देश का रखवाला था .. जिस्म मेरा कठोर था ... पर मेरे मन के अंदर ताउम्र तुम्हारे लिए ही प्रेम रहा ..अब जब इस देह से मुक्ति मिली है तो तुमसे कहना चाहता हूं मैं तुमसे बेहद प्रेम करता हूं... बस कभी कह नहीं पाया कि तुम्हारे चेहरे की वो लटे मुझे सुबह की रोशनी में भी मधहोश करती थी
काम के वक़्त जब तुम तंग आकर तुम अपना आंचल खोस देती थी तब मन करता था के पीछे से आकर तुम्हे पकड़ लू .. पर जब में अपने कठोर हातो को देखता तो सोचता ये तुम्हारे लायक नहीं..तुम्हे बता नहीं पाया के तुम्हारी मुस्कान हमेशा मेरे जीने की वजह रही है..
अब मुझे इजाजत दो मुझे जाना होगा अपने अगले सफर के लिए ... वहीं जहा से अभी तक कोई लौट नहीं आया पर में तुम्हारा प्यार अपने साथ ले जा रहा हूं हमेशा की तरह ....
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