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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Aurat...

मुझे तलाश है उन औरतों की जो कभी श्रृंगार नहीं करती। जिन्होंने आईने को निगाह भर के नहीं देखा। जिन पर संगीत का कोई प्रभाव ना पड़ता हो। कविताएं और कहानियाँ जिनके आस पास भटक नहीं पाई।
मुझे तलाश है उन औरतों की जिन्होंने अपनी चौखटों पे बरसों बरस पहरा दिया हो ताकि इंतज़ार नाम का जानवर अंदर घुस कर उसके अस्तित्व को तहस नहस न कर दे।

वो औरतें जो धूप में बैठकर अपने आप को उस कपड़े की तरह बना चुकी है जिनकी सख्त सिलवटों को खोलकर उन्हें तह करना मुश्किल हो।

वो खाली कुँए सी बाँझ औरतें जिनकी कोख से कभी याचनाएँ जन्म नहीं ले पायी।

मैं उन्हें खोजकर उनसे कहना चाहती हूँ
की मुझे ईर्ष्या है तुमसे। क्योंकि तुमने बरकरार रख्खा प्यास की गरिमा को।

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