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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Jung

खुद से लड़ने वाले लोग जंग नहीं जीता करते। वो अपनों से हार जाते हैं। हमारे पास जब हारने को कुछ नहीं बचता तो हम अपना मन हार जाते हैं। ये स्थिति सबसे खराब  है। आपको हँसी नही आती। दुख भी नहीं। रियेक्ट होना बन्द हो जाता है जैसे। माथे पे कोई बोझ सा बैठ जाता है और दिल खाली।
झूठी हँसी,झूठी बातें और झूठी तसल्ली दुनिया में सबसे ज्यादा दर्द महसूस कराती हैं। सर्दी में अंगूठे का किसी पत्थर में लड़ जाने वाला दर्द। या क़भी अचानक से पैर की हड्डी के खिसक जाने का दर्द,इनसे भी ज्यादा दर्द होता है इस बात मै ..."मुस्कुरा के सब ठीक है!"कहने का दर्द..!

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