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Dear December ❣️

 डियर दिसंबर, तुमसे इश्क़ क्यों है, ये बताना आसान नहीं ..तुम्हारे आते ही नए साल की गिनती शुरू हो जाती है,पर मेरे लिए तुम सिर्फ एक महीना या तारीख नहीं, एक दरवाजा हो—नए सफर, नई कहानियों और नए रास्तों का जो मेरी मंजिलों के और भी मुझे करीब लेकर जाता है ... तुम्हारी ठंडी हवाएं जब चेहरे को छूती हैं, लगता है जैसे पुराने गमों को उड़ाकर ले जा रही हो.. हर बार उसी मलबे में एक नई राह दिखाई है.. शायद इसलिए मैं तुम्हें हर बार एक उम्मीद की तरह देखती हूं.. तुम्हारे आते ही पेड़ों से गिरते पत्ते मुझे सिखाते हैं, कि कुछ छोड़ देना भी जरूरी होता है आगे बढ़ने के लिए.. तुम्हारी शफ्फाक शामों में, जब सूरज धीमे-धीमे डूबता है, मैं खुद को तुम्हारी गोद में एक बच्ची की तरह पाती हूं.. सहमी हुई, पर भरोसे से भरी...तुम्हारे साथ मैं अपना सारा बोझ हल्का कर देती हूं...तुम्हारी दस्तक हमेशा रहती है, एक दुआ की तरह, एक बदलाव की तरह.. तुम्हारी रूह की सर्दियों में जीते हुए, गुजरे हुए साल के लम्हों को फिर से जीती हूं ... ताकी इस गुजरे हुए साल की यादें छोड़कर आगे नए साल में बढ़ पाऊं .. नई उम्मीदों के साथ .. कुछ साथी जो साथ चल...

Thirteen minutes.....

क्या तुम्हें याद है आख़िरी बार जब हम मिले थे ?
तुम मुझ से कुछ मिनट पहले पहुँच गयी थी,
मैं शायद कहीं काम में फँसा था वरना हर बार तुमसे पहले पहुँच जाता था,
न सिर्फ़ पहले पहुँचता..तुम्हारे लेट होने पर ग़ुस्सा भी करता,तुम्हें भी आज मौक़ा मिला था बदला लेने का,
जब मैं पहुँचा तो ग़ुस्सा थी तुम,मुझे याद नहीं मैंने तुम्हें मनाया कैसे,बस याद है तो तुम्हें आख़िरी बार देखना,याद है तो मेट्रो के बंद होते दरवाज़े,
तुम्हें याद है तुमने कहा था पूरे 13 मिनट लेट आये हो तुम आज...अब अगली बार मैं भी 13 मिनट लेट आऊँगी और तुम ग़ुस्सा नहीं करोगे ये 13 मिनट उधार है मेरे तुम पर।
पर मैं कहां जानता था कि वह अगली बार कभी आएगा ही नहीं,हमें दोनों को ही मालूम नहीं था ये मुलाक़ात आख़री होगी,तुम्हारे 13 मिनट आज भी उधार है मुझ पर,कभी फ़ुरसत मिले तो आना।
वही हूँ मैं तो आज भी,वहीं खड़ा हूँ उसी मेट्रो स्टेशन पर...इंतज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा॥
काश़ मुझे पता होता वो मुलाक़ात आख़री होगी,,बहुत कुछ कहना था तुम से,मुझे आख़िरी बाहर आँखों ही आँखों से अपनी मोहब्बत का इज़हार करना था,मुझे तुम्हें परेशान करती गाल पर भटक रही बालों की उस लट को आख़िरी बार अपनी उंगली से रास्ता दिखाना था।
कभी फ़ुरसत मिले तो आना ज़रूर 13 मिनट ले जाना अपने।

#13min
हा याद है मुझे जब तुम आए थे और मैं गुस्से में थी ...तुम पूरे १३ मिनिट लेट थे और फिर हमने तुमसे मिन्नते करवाई थी हमे मनाने के लिए ।
पता है कितना अच्छा लग रहा था तुम्हारा यूं मनाना..!!
एक पल के लिए मन हुआ बस यही ठहर जाए ये लम्हे ...कितना कुछ कहना चाहते थे हम तुमसे वो सब कुछ जो मेरे दिल की बात हर
बार  होटों तक आके रुक जाती थी ...कितना कुछ अनकहा रह गया है जो मुझे तुमसे कहना है ..

सुनो, मुझे तुमसे कहने है
कुछ शब्द, कुछ बातें ,जिनमें सारे जज्बात है
 जो बस शुरू भी तुम से हुए हैं और खत्म भी तुम पर होते हैं ...
सुनो,
हम मिलेंगे फिर एक बार और
हा वो १४ मिनिट याद रखना जो मेरे उधार है तुम पर .....!!

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