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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Tumhari aankhe

मुझे बहुत पसंद है तुम्हारी आंखे
जिसमे मैने जब देखा तो खुद के लिएं बेइंतहा प्यार ही प्यार देखा है

मुझे बहुत पसंद है तुम्हारे लब
जिसने मेरे माथे को चूमकर तुम्हारी होने का एहसास दिलाया है मुझे..

मुझे पसंद है तुम्हारी आवाज
जो पगलू " कहकर मुझे तुम्हारी तरफ खींचकर ले जाती हैं,

सुनो ,
मुझे पसंद है तुम्हारी हंसी जो तुम्हारे छोटे छोटे होठो से अक्सर मुझसे बात करते हुएं छलक सी जाती है
सुनो
मुझे पसंद है तुम्हारा मेरे बारे मे इतना सोचना जो मुझे खुद पर गुरूर करने पर मजबूर कर जाता है

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