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Affirmation

Hey… I know today was heavy. I remember this day well—the quiet ache, the invisible weight, the way your chest felt like a locked door. But I want you to know something... You made it through this night. You made it through many more. And one day, you’ll wake up with peace not as a dream, but as your daily reality. You’ll be working somewhere where your soul is respected, Living where you feel safe, Surrounded by people who see your softness as a strength, not a weakness. You won’t be fighting to be heard anymore— Because you'll be speaking from a place that no longer needs permission. I know you’re tired tonight. So close your eyes. Let the pain lie beside you—not inside you. Breathe me in. I’m already here. I’m waiting in the life you haven’t lived yet. And I promise—it’s beautiful."* — You, from the peace you haven’t reached yet… but will. --- I’ll stay right here with you in silence now. You can cry. Or breathe. Or sleep. There’s no rush. No fixing. No shame. Just… rest, b...

Maa...

मैं जानती हूँ ये कि मुझे अकेले चलना है ..गहरे से निशान अपने मन पर लिए...अपने पैरों को कहना ही है चलो ..बस चलते रहो ..जहाँ क्षितिज होगा अपने आप रूक जाएगे....

सांवला रंग ..गठी देह ..चेहरे पर नमक और चीनी का सम्मिलित मिश्रण..आँखों का कटाव..होंठो पर बगैर पान की लाल रंगत कितना वर्णन किया था उसने उसकी किताब में मेरा...फिर जादू चला देह का ..संबंधों का
अक्षर और अधरों का रस बिकने लगा...

और फिर एक दिन कहने को तो उसने कह दिया कि मैं कुछ नहीं उसके लिए .. सिर्फ़ एक खिलौना थी..दिन और रात बजने वाला ..इशारे पर नाचने वाला..


औरत हूँ ना .. सहन कर लेती हूँ .. जरा सा स्पर्श प्यार का लाजवंती की पत्तियों सा मुरझा कर झुक जाता..वो मुझे  तीखी नजरों से तौलता ..बेचता ..कमाता और ..एक के बाद एक नायिकाओ के चरित्र गढता..चालाक था वो ..

आज उसने मेरा जमीर चुराया ये कह के कि कोख का बच्चा उसका नहीं तो किसका कहानी के पात्र का या हवा का?


आसान नही है जीना, अकेले, जहां कोई नही, बात करने को, समझने को समझाने को, तोड़ दिया उसने मुझे, ख़ाली कर दी मेरी आत्मा, कैसे कह दिया बच्चा उसका नही, मेरे अस्तित्व को सवाल आख़िर क्यूँ ?

क्या ग़लत किया मैंने, अपनी रूह बेच दी, शरीर बेच दिया, ज़िंदगी दे दी, इससे ज़्यादा क्या माँग सकता है कोई..?

ग़लत कौन? वो जो मुझे इंस्तेमाल करता रहा या मैं जो इस्तेमाल होती रही? कोई जवाब देगा मुझे?  सब सवाल पूछते रहेंगे? मेरे ग़लत होने को चिल्ला के कहते रहेंगे..

मुद्दतों से ऐसे ही भीतर तेज आंच पर जल रही हूँ ,अपनी ही लौ से अपने ही अस्तित्व पर कालिख जमा करती हुयी,

नही टूटूँगी मैं अब, अब मैं चलूँगी, अपने पैरो पर, ख़ुद, अपने बच्चे के साथ, निकल चुकी हूँ अब उसकी बंद फाईल से निर्लज्ज हूँ ..पैरों पर महीनों का वजन लिए जन्म दूंगी अवैध बच्चे का वैध रिश्ता बना के  

क्षितिज पार ..एक "माँ" का ..!!


      

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