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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Intezar....

आज भी वही खाली इंतजार होता है तुम्हारा.. वो काश वाला इंतजार.. जो कभी पूरा नही हो पाता.. बस छोड़ जाता है तो ढेर सारा दर्द और सन्नाटा.. कहने को तो बहुत कुछ है.. लेकिन अब कहेंगे नहीं.. और जब तक तुमको हमारी खामोशी महसूस होगी.. .तब तक बहुत दूर जा चुके होंगे हम.. खैर.. हमें अब कोई शिकायत नहीं तुमसे.. न ही कोई मलाल.... बस.. खुश रहो.. हमेशा.. मुस्कुराते हुये... !!


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