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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Aasma ...

आसमां : कुछ पूछु ??
जमीं : हां पूछो !

आसमां : मैं ही क्यों ?
जमीं : क्योंकि तुम सिर्फ़ सफर से हो तुम्हे मंज़िल बनने की चाह नहीं ..

आसमां : अगर होती तो ??

जमीं : तो हर मंज़िल की तरह तुमसे भी एक दिन दिल ऊब जाता , और मन फिर एक दिन नई मंज़िल की तलाश में सड़क पर निकल जाता ..

जमीं : सफ़र ही रहना चाहत बने रहोगे ..!!


Comments

  1. चिपके बैठी हो यहां...
    लिखती है बेहतरीन...😴😴

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    1. Tumne yaha bhi dhund liya 🤔🤔

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    2. वैसे शुक्रिया आपका के आपको हमारा लिखा अच्छा लगा

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    3. This comment has been removed by the author.

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