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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Intezaar

रात ख्वाबों की शीतलहरी की चादर ओढ़े
बहुत गहरी नींद में सो रही है

एक यायावर कोहरा ,

"मैं" और "तुम्हारी याद"
खिड़की पर बैठे बातें कर रहे हैं

पूरी चर्चा में  “ तुम्हारा इंतज़ार ”

कोने में बहुत चुप-चाप बैठा है

उसे "सच" पता है न ....!!


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