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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Lonliness...

सोचो वो लड़की/लड़का कितना अकेला होगा कि अपने मन की बात एक अजनबी को बता रहा...क्या उनके दोस्त, माँ-बाप, भाई-बहन नहीं होंगे. फिर वो क्यों चुनते है किसी अजनबी को.शायद इसलिए कि अजनबी कि उन्हें जज नहीं करे. ..उनके दर्द को समझ सके...

आज के इस भागती दौड़ती हुई जिंदगी में किसी के पास इतना टाइम नही है या वो चाहकर भी रिश्तों को टाइम नहीं दे पाता ..अब हम इंसान ही है जब उसे अपने जीवन में जब कहीं सहारा नहीं मिल पाता तब वो सहारे वो बाहरी दुनियां में ढूंढने लगते है ..

ताकी थोड़ी देर ही सही वो अपने अकेले पन से निजात पा सके .. क्या उन्होंने कोशिशें नहीं की होगी अपने रिश्तों के पास जाने की...??

इस पहलू को लेकर सोचना कभी ..
के क्यों सब रिश्ते होते हुए भी लोग बाहरी दुनिया में सहारा ढूंढ़ते है ...??

Comments

  1. है लेकिन मां-बाप को तकलीफ नहीं देते

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