मै हमेशा सोचती थी कि अगर कभी किसी दिन तुम मुझसे पूछोगे की मुझे तुमसे कितना प्रेम है तो मैं जोर से खिलखिला कर अपनी दोनों बाहें हवा में फैलाकर कहूंगी इतना सारा !!
बचपन मे मुझसे जब मां पूछती थी कि मैं कितना लड्डू खाऊँगी या जब बाबा मुझसे पूछते की रात में कितने सपने देखे तो मैं यू ही अपने दोनों हाथों को हवा में फैलाकर कहती इतने सारे..!!
घर से सालो दूर रहने के बाद जब माँ पूछती, याद नही आती माँ की न ? बोल कितना मिस किया मुझे तब भी मैं इसी प्रकार खिलखिलाकर उनसे जोर से लिपट कर कहती इतना सारा... !!
मैं आज भी वही करती हूं..!!
मेरे लिए हाथो को हवा में फैलाकर इतना सारा कहना कोई बचपना नही है..!
मेरे लिए इसका मतलब है कि अगर इस पूरे ब्रम्हांड को भी मेरी खुली बाहों के सामने रख दिया जाए उस क्षण, तो वह भी मेरे इतना सारा के सामने छोटा पड़ जायेगा...!!
पर तुमने कभी मुझसे ये सवाल नही पूछा...!!
पता नहीं क्यों ??
मगर यदि कल कोई मुझसे ये सवाल करेगा तो शायद मैं उससे खिलखिलाकर इतना सारा नही कह पाऊंगी...!!
बल्कि उसके इस सवाल पर मेरी आँखों से आंसू गिर पड़ेंगे.!!
और उनमें से एक आंसू को मैं तुम्हारे हथेली पर रखूंगी और कहूंगी की यदि तुम गिन पाओ उस एक बूंद में छिपी वह सारी प्रार्थनाएं जो मैं भगवान से तुम्हारे लिए करती हूं ,
वह सारी मन्नते जो मैं तुम्हारे लिए मांगती हु, वह सारी पीड़ा जो मैं हंस कर सह लेती हूं मैं तुम्हारे लिए, वह सारे सपने जो मैं बस देखती हूं तुम्हारे लिए ,यदि कर पाए वह इन सब बातों का आंकलन तो मिल जाएगा उसे उसका उत्तर..!!
मैं खुद नही जानती की तुम्हारे प्रति
मेरा प्रेम कितना असीम है...!!
मगर कल को अगर भगवान ने अपने एक तराजू के एक पलड़े में रखा जाए मेरे आंसू की वह एक बूंद तो मुझे पूरा यकीन है कि मेरा प्रेम जीतेगा , भारी पड़ेगा भगवान के ब्रम्हाड पर जो मैं अब तक न्योछावर कर चुकी हूं...
तुम पर....
हां सिर्फ तुम पर...!!
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