Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

That Cloud

कई बार खिड़की से बातचीत में जिकर होता है उस बादल का जो बारिश करना भूल गया था ..

और उन बादलों का जो बारिश में बह जाने के डर से नहीं भीगा ...

अब कभी बारिश होती है तो मैं नहीं भीगता..

अब बारिश का होना मै खिड़की से छुपके देखता हूं बह जाने का डर अब भी है...!!

या कहीं शायद इंतजार है उस बादल का जो बरसाना भूल गया था..

अब मेरे और खिड़की की बातचीत मैं झोंके और बौछारें भी कुछ कुछ कहती है ...

उस बादल के बरसने का इंतजार हमेशा रहा है हर साल की तरह जो कभी बरसा नहीं..

शायद इस बारिश के मौसम में बरस जाए ...!!

~ अनुपम


Comments

Popular Posts