Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Baarish...

बातें , यांदें, ख्वाबों और शिकायतों की एक लिस्ट मैंने इन बूंदों को सौंप दी हैं .. इनसे कहना कि तुम्हे पढ़ कर सुनाए ..

तुम सुनते हि मुझे फोन करना बाहर बारिश की संगीत में हम तुम्हें सुनाएंगे वो बात जिसमें हम दोनों का साथ बारिश में भीग जाना बाक़ी था ..हां वही रिमझिम वाली बारिश , गीली सड़के , चाय और भुट्टे और कभी तुम्हारे कांधे पर टिके हुए हमारा वो दूर तक तकना   ..

अरे हां वो भी तो बाकी है हात में हात लिए यूंही बारिश में भीगना ... खिड़की पर बतियाते हुए वो चाय और समोसे ..
सुना है आजकल इन बूंदों से तुम्हारी खूब बात होती है...
क्या उन बातो में कभी हमारा जीकर भी होता है ??

Comments

Popular Posts