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Dear December ❣️

 डियर दिसंबर, तुमसे इश्क़ क्यों है, ये बताना आसान नहीं ..तुम्हारे आते ही नए साल की गिनती शुरू हो जाती है,पर मेरे लिए तुम सिर्फ एक महीना या तारीख नहीं, एक दरवाजा हो—नए सफर, नई कहानियों और नए रास्तों का जो मेरी मंजिलों के और भी मुझे करीब लेकर जाता है ... तुम्हारी ठंडी हवाएं जब चेहरे को छूती हैं, लगता है जैसे पुराने गमों को उड़ाकर ले जा रही हो.. हर बार उसी मलबे में एक नई राह दिखाई है.. शायद इसलिए मैं तुम्हें हर बार एक उम्मीद की तरह देखती हूं.. तुम्हारे आते ही पेड़ों से गिरते पत्ते मुझे सिखाते हैं, कि कुछ छोड़ देना भी जरूरी होता है आगे बढ़ने के लिए.. तुम्हारी शफ्फाक शामों में, जब सूरज धीमे-धीमे डूबता है, मैं खुद को तुम्हारी गोद में एक बच्ची की तरह पाती हूं.. सहमी हुई, पर भरोसे से भरी...तुम्हारे साथ मैं अपना सारा बोझ हल्का कर देती हूं...तुम्हारी दस्तक हमेशा रहती है, एक दुआ की तरह, एक बदलाव की तरह.. तुम्हारी रूह की सर्दियों में जीते हुए, गुजरे हुए साल के लम्हों को फिर से जीती हूं ... ताकी इस गुजरे हुए साल की यादें छोड़कर आगे नए साल में बढ़ पाऊं .. नई उम्मीदों के साथ .. कुछ साथी जो साथ चल...

That Night...

उस पश्मिने की रात मैंने खुद को तुम्हारे आस पास बुनते पाया .. उस रात की ठंड में कुछ था जो हम दोनों के अस्तित्व को चपेट में ले रहा था
वो रात नहीं मेरे इश्क़ का स्वेटर था शायद
 तुम रात भर कभी ओस तो कभी सर्द हवा बनकर आते रहे ...
तुम्हारे जाने के बाद पता है  वो स्वेटर मैने बस इसीलिए नहीं पहना क्योंकि

उस इश्क़ के स्वेटर में  तुम्हारी सर्द हवा को महसूस नहीं कर पाती .. वो तुम्हारे गर्म सांसो के एहसास ,  वो तुम्हारे पास आने पर मेरे बदन की सिहरन ,
वो आग नहीं महुसस कर पाती ..

इसलिए मैंने तुम्हारी ओस और सर्द हवा में ठिठुरना चुना..

और अब इंतज़ार है के तुम मेरे साथ इस स्वेटर में आओगे...

क़रीब....
बेहद क़रीब उस रात की तरह और में तुममें घुल जाऊ हमेशा के लिए ...!!

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