Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

That Night...

उस पश्मिने की रात मैंने खुद को तुम्हारे आस पास बुनते पाया .. उस रात की ठंड में कुछ था जो हम दोनों के अस्तित्व को चपेट में ले रहा था
वो रात नहीं मेरे इश्क़ का स्वेटर था शायद
 तुम रात भर कभी ओस तो कभी सर्द हवा बनकर आते रहे ...
तुम्हारे जाने के बाद पता है  वो स्वेटर मैने बस इसीलिए नहीं पहना क्योंकि

उस इश्क़ के स्वेटर में  तुम्हारी सर्द हवा को महसूस नहीं कर पाती .. वो तुम्हारे गर्म सांसो के एहसास ,  वो तुम्हारे पास आने पर मेरे बदन की सिहरन ,
वो आग नहीं महुसस कर पाती ..

इसलिए मैंने तुम्हारी ओस और सर्द हवा में ठिठुरना चुना..

और अब इंतज़ार है के तुम मेरे साथ इस स्वेटर में आओगे...

क़रीब....
बेहद क़रीब उस रात की तरह और में तुममें घुल जाऊ हमेशा के लिए ...!!

Comments

Popular Posts