Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

पढ़ लिया करो...

नहीं आता मुझे कहना, बस दिल में रख लेती हूं  सब कुछ, कहा नहीं जाता, पर आप सब समझ लिया करो , समझ लिया करो वो जो लब कह नहीं पाते, मेरी खामोशी के भीतर छिपे प्रेम को पढ लिया करो .....कह दिया करो गर कुछ गलत बोल दूं...!
हां थोड़ी सी बेपरवाह हूं ,जिद्दी हूं ,उलझी हुई हूं ,  पर मुझे  यकीन है आप शायद इन सारी चीजों को अपने प्यार से काबू कर सकते हो..!

मै चाहती हूं मेरे बिन कहे आप वो सब सुन लो जो मेरे तेजी से धडकते दिल में चलता है आपके लिए पर शब्दों में बयां नहीं हो पाता, प्रेम वैसे भी कहाँ शब्दों में समाता है..!
पर सच ये है कि आप मेरे धडकनों में बस चुके हो,

 एक पल भी मन नहीं लगता आपके बिना..!!

Comments

Popular Posts