Featured
- Get link
- X
- Other Apps
कुछ अनकही बातें
सुनो शिव,
मेरे लिए कभी इतना करना आप मेरे हिस्से की खुशी से आप अपनी महफ़िल सजाना..नाराज़गी में भी कभी बेगानापन न दिखाना..जब कभी में टूट के रो दूं आपके सामने,तो ज्यादा नहीं..बस,प्यार से मुझे अपने गले से लगाना ..आज थामा है मेरा हाथ,तो सुन लो आप मेरी एक अरदास,सिर्फ़ इस जन्म में नही...अनंत तक आप मेरा साथ निभाना..अगर सुख में शामिल हूं मैं आपके अपने जीवन के हर दुख़ में भी मुझे अपना भागीदार बनाना..
अगर गलतियां हो मुझसे कभी,तो आप पिता की तरह मुझे फटकार लगाना.. जैसी भी हूं,बस आपकी ही हूं..
यही सोचकर आप प्यार से मेरे सर पे हाथ फिराना..
बस कभी बेरुखी में भी,मुझे गैर न बताना इन सूने लबों पे मुस्कान दी है आपने,कभी मेरी इन कोमल प्यार के एहसासों को , मेरे इस सौ टुकड़ों में टूट चुके दिल को आपके प्रेम के वियोग में मत रूलाना...
नहीं जाओगे ना आप मुझे छोड़कर कभी शिव ?
( कितना कुछ अनकहा रह गया आपसे.)
Popular Posts
Antim Aranya: Nirmal Verma Book Review
- Get link
- X
- Other Apps
Comments
Post a Comment