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कुछ बाते
किसी को चाहने के लिए ज्यादा नहीं सुनना होता है.. किसी का बस इतना कह देना कि तुम्हारी याद आ रही है ..सालों से जमे दुःख को गला देता है ..हां कभी कभी बस कुछ शब्द ही काफ़ी होते हैं..सब कुछ बहुत सीधा सा होता है कभी एक क्षण ही बहुत होता है चाहत के लिए..
पर हम इस सीधी सी बात को कितना उलझा देते है ..हां आपका यूं मुझसे लड़ना और रूठ जाना मुझे बहुत तकलीफ़ देता है.. ज्ञान चतुर्वेदी ने स्वदेश दीपक के लिए कहा था- "खंडित मूर्तियों की पूजा नहीं होती.." सही ही कहा.. मुरझाए फूलों पर तितलियाँ नहीं बैठतीं..
आपसे लड़ने के बाद में भी कुछ मुरझाए फूल सी हो जाती हूं, और वही खंडित मूर्ति हो जाती हूं .. मैं कभी कभी सोचती हूं कि काश मैं उन लम्हों में वापस जाकर फिर से सब ठीक कर दू पर ये सारे मेरे वाहियात खयाल है..
की कभी हम फिर से अजनबी हो जाए और आप मुझसे बिल्कुल पहले जैसी बाते करे ,
हां मै सब कुछ पहले सा सुनना चाहती हूं ..
सुन रहे हो ना आप ..!!
शिव क्यों आपने कुछ भी नहीं सुना मेरी वो धड़कने जो बस आपका नाम लेती है .. हर लम्हा आपकी याद .. की किसी दिन आप फिर से पुकार लोगे अरु को )
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