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कुछ अनकही बातें ...
बहुत गुस्सा आता हैं ,जब कोई भी आपको न समझें,कही कोई ठीक रास्ता न दिखे... जब आप समंदर और रेत के बीच का फर्क भी न समझ पा रहे हो, आपके सामने अंधकार ही हो बस,उजाले के नाम पे कोई एक आशा की किरण, एक लौ कुछ भी बाकी न रह गयी हो...! आपको सिर्फ निराशा हाथ लगे..
बारिश के पानी में जो चमकती बिजली होती है न वो भी पल भर को उजाला देती हैं ,एक क्षणिक प्रकाश देती हैं जिससे एक छोटी सी आशा और उम्मीद बारिश में अकेले चलते हुए को मिलती रहती हैं,
लेकिन कुछ क्षण जीवन में ऐसे आते है जिसकी वजह से आप चाहकर भी अपनी पूरी कोशिश करते हुए भी उस उजाले को अपने साथ कायम रखनें में असफल होते हैं...इस सच्चाई को मैं आप और हम सभी जानते हैं लेकिन अपने मन की न सुनते हुए हम उसके बारें में सोचने और उसे स्वीकारने से डरते हैं,
कुछ बातों का सामना न कर पाना हमारी
कुछ खास कमजोरियों में से एक होता हैं..!!
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