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Stories that never Been told to anyone

 I dreamed with you. Yes, your dream became mine. I carried it with the same fire that once lived in your eyes. When you were tired, I worked twice as hard for us. When the world mocked your madness, I stood tall beside you, defying their laughter with silent faith. When doors closed and lights dimmed, I was the one holding the candle, whispering, “We’ll make it.” I believed in you when no one else did. I was your echo when you had no voice, your spine when you couldn’t stand straight. And yet  you questioned me. You bruised me not with fists, but with words that cut deeper than silence. You mocked my loyalty, made me a punchline in your story. You let people laugh at me, knowing I was the one who built the stage you now stand on. When victory finally knocked, I thought we’d open the door together. But you handed the key to someone else. You forgot the sleepless nights, the unpaid hours, the tears I hid just to keep your dream alive. You forgot me. And that’s when I learned lo...

Feelings...

कुछ यादें महज़ यादें नहीं होती दिल के संदूक में सिमटी धूल में लिपटी पड़ी रहती है यूं जब संदूक खुलता है तो उनमें से वो आपके प्यार के एहसास की ख़ुशबू,वो उस दिन की तेज़ बारिश जिसमे हम भीग गए थे और आपसे बात हो रही थी ,गीले बदन से लिपटती हवाएं, वो मेरे बदन पे आपका एहसास , और अब ख़ामोशी में गुजरती वो शामे, सर्द रातों में मै ठंड से कांपती मै  याद है शिव आप कहते मै होता तो तुम्हे बाहों में भर संभालकर घर में लेकर आता ,और कितनी ही आपकी बाते ( हां सिर्फ बाते और आपके होने का अहसास ही है मेरे पास बस ) 

इस याद से फिर मुझे याद आया वो दिन जब कहा था आपने कि मैं तुम्हे छोड़कर कभी नहीं जाऊंगा .. और जब हम कहते की शिव अगर मै चली गई तो आप कहते अरु तुम्हारे जाने के बाद यूं लगेगा आधा हिस्सा चला गया है..( शिव अब आप के चले जाने के बाद यूं लगता है आधे हो गए है,खुद से दूर जाते हुए कैसे महसूस होता है ,ये सिर्फ मेरी नजरें जानती हैं जिन्होंने सब कुछ देखा है लेकिन कुछ कर नहीं सकी... ये बात हम आपसे कभी कह नहीं पाएंगे ..!! )

आज जब इन सब बातों को सोचती हूं तो लगता है की .. कितना सब कुछ सच लगने लगा था मुझे हां पर आपने मुझे फिर से गलत ठहरा दिया .. यही होता है मेरे साथ .. जब में सोचती हूं अब सब कुछ सच है , ठीक हो जाएगा तब सब कुछ बिखर जाता है ,आपके जाने के बाद मन अब शुन्य सा हो गया है .. वो प्रेम के एहसास , वो मेरी फीलिंग्स, सब कुछ अब किसी से ना कोई शिकवा है ना लगाव और अब हम बस ऐसे ही रहना चाहते है.. मै जान चुकी हूं प्रेम और बाहरी सुंदरता का गहरा नाता है ..जो मेरे पास नहीं है 

सोचती हूं क्या अगर सच में सुंदर होती तो क्या आप मेरे पास होते.. कभी कभी मन में ये सवाल भी उठते है कि अगर आप पहले ही उससे प्यार करते थे तो क्यों मै जान नहीं पाई क्यों मै महज बातों से ही आपसे इतना जुड़ गई यूं तो किसी से नहीं जल्दी नहीं जुड़ पाती मै ? क्यों इस दिल को आप इतने अपने से लगे थे लगा था कि जैसे मेरा आधा हिस्सा हो आप ? इन सभी सवालों का जवाब नहीं है मेरे पास इसलिए मै इस संदूक को बंद कर देती हूं सहजता से इसे संभाल के रखती हूं, सोचती हूं जिंदगी के किसी मोड़ पर जब आप मुझे कहीं मिलोगे तो बस एक बार पूछ लूंगी की क्या सब कुछ सच था ?

और भी कई सवालों से मन भर जाता है पर अब मुझे किसी सवाल का जवाब भी नहीं चाहिए कहते हैं आपके सवालों के जवाब आपसे बेहतर आपको कोई नहीं दे सकता, पर मेरे ज़हन के सारे सवाल पानी पर पानी से लिखे अल्फ़ाज़ों की तरह हैं….और फिर वापिस संदूक को समेट कर रख देती हूं.. फिर से ये संदूक खोल लूंगी इन्हीं कुछ सवालों के साथ और फिर इंतज़ार करूंगी इन खामोश जवाबों का की कभी तो आप आओगे जवाबों के साथ ( और ये भी जानती हूं अब आप कभी नहीं आएंगे ,और वो मेरे वाहियात से सपने , मेरे सवाल इस यादों के संदुक में वैसे ही रह जाएंगे , जानती हूं हर किसी के सपने पूरे भी तो नहीं होते ) 

पता है शिव अब मैंने धीरे धीरे  लिखना बंद कर दिया है क्यूंकि अब मुझे खामोश कर लेना है खुद को हमेशा के लिए ... मैं अब तारो के पास भी नहीं जाती क्यूंकि अब मेरे पास ना वो मेरे वाहियात खयाल है, ना बाते  है  .. हां पर तारो के ना जाने से जिंदगी रुकी हुई से जरूर लगती है ठीक वैसे ही लिखती नहीं हूं तो सब मन मै भर जाता है मगर फिर भी अब बस मै मौन हो जाना चाहती हूं.. सुकून मिल जाए .. ये मन कितना बेकल होता है ना जो नहीं होता है बस उसके पास भागता है ..कभी कभी यूंही लगता है काश अगर सब कुछ सच होता तो .. क्या होता ? उस सच की शायद कुछ और कहानी होती ? तब परेशानियों में जब रात - रात भर जागा करते आप, तो गोद में रखकर सर ,दो पल सुकून की नींद की चाह लिए हमे याद कर लेते शायद ( पर कहते है ना आप किसी से प्यार करते है पर वो भी आपसे प्यार करे ये जरूरी भी तो नहीं )

कहते है की पानी सब बहा ले जाता है तो हमारे आंसू क्यों आपकी यादें बहा नहीं ले जाते ,बस इन सारे अनकहे, उलझे से सवालों के साथ ही किसी दिन इस संदूक को खाली कर दूंगी गंगा घाट पर और जला दूंगी हमारा ये अक्स जो क़ैद है जिस्म के साए में एक मीठा सा दर्द बनकर जो धीरे धीरे ज़ख्म बन रहा है बस डर है इस बात का कही

निशान ना छोड़ जाए 


जो मै नहीं चाहती...!!

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