Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

My world

 शिव आपको पता है आपके होने के एहसास के साथ कई बार मै कई जगह घूम आती हूं .. आपको पता है ना पागल है आपकी अरु .. आप ना कभी  कभी ना जाने कितनी ही बार ठीक मेरे बगल वाली सीट पर बैठ जाते हो और में आपको निहारती रहती हूं .. आपसे बात करते करते घर से ऑफिस का सफ़र कब खतम हो जाता है पता नहीं चलता जैसे अक्सर हम दोनों बात किया करते थे और अक्सर वहीं गाना गुनगुनाने लगती हूं जो आप हमेशा गुनगुनाते थे , कभी कभी यूंही पायल पहन लेती हूं पायल की वो खनक भी कभी यूंही आपका नाम पुकार लेती है ... सोचती हूं क्या आपको हमारी कभी याद भी आती है ..शायद नहीं आती आपको कभी मेरी याद , .. आप अपनी दुनियां में खुश हो यही काफ़ी है मेरे लिए अब .. जानते हो कभी कभी ना हम जब सड़क पर चल रहे होते है तो आप पता नहीं अचानक से मेरा हाथ पकड़ हमे सड़क पार करवा देते हो आती-जाती गाड़ियों के बीच में ....  शाम की वो धुंधली रोशनी में आपको मुस्कुराता देख अच्छा लगता है और हम भी अनासायास हस देते है .. 

कभी कभी जब घर पहुंच जाती हूं तो आपको कई बार दूर से हाथ हिलाते हुए अलविदा कहते हुए बार-बार पीछे मुड़ते हुए देखा है आपको ..बार ना जाने  कहाँ-कहाँ देखा है आपको गिनती तो नहीं की न नाम याद रखे.. बस आपके पास होने का एहसास में सुकून मिला है हर बार ..आपके इस आने जाने के क्रम को कभी नहीं रोका .. जैसे आपको जाने से रोक नहीं पाई ठीक वैसे ही .. हां इस बात को लेकर कभी कभी मैं रो देती हूं कि मेरे पास अब सिर्फ आपके होने का एहसास साथ है ..और आप जा चुके हो.. जीवन की सभी धारणाओं से परे, इस दुनिया से परे मैने आपके साथ अपनी एक दुनिया बसा ली है जहा ना जाने मै कितनी ही बार हो आती हूं ..जहां आप मुझे कभी छोड़कर जाने की बात नहीं कहते , शिव जानते हो वो दुनिया कहा है मेरे भीतर की दुनियां जहा आप रहते हो मेरे पास.. उस दुनिया में मुझे सुकुन मिलता है ...

अब मै आपको कभी बाहर नहीं ढूंढ़ती बस जब भी आपके पास होने का मन करता है आपकी याद आती हैं बस आपको आवाज़ दे देती हूं और आप कहते हो जैसे हमेशा कहते थे कभी अरु यही हूं तुम्हारे आस - पास दूर होकर भी ....

इसीलिए मैने मेरी इस दुनियां का नाम सुकून रख दिया है ..! 

जहाँ मेरी मुलाकात  "जिंदगी" से होती है ...!!

( कैसे कहे शिव आप याद आते हो या यूं कहो आप हर लम्हा साथ होते हो .. हमे नहीं पता कि कैसे भुलाया जाता है..)

Comments

Popular Posts