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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Ek kahani

 एक छोटिसी कहानी सिर्फ तुम्हारी और मेरी हो...जिसमे तुम हंसो तो ,मैं भी हँसती रहूं ..तुम उदास जो हो जाओ..तो मैं भी उदास हो जाऊं..

एक लम्हा हो सिर्फ़ तुम्हारा और मेरा जिसमे तुम गुनगुनाओ ...तो मैं धुन बन तुम्हारे अधरों पर सज जाऊं..एक रस्म भी हो सिर्फ मेरी और तुम्हारी ..राह चाहे कोई भी हो,सफर कैसा भी हो...तुम आगे जो चलो..तुम्हारा हाथ थाम कर..

तुम्हारे साथ मैं भी चलूँ..एक वादा सिर्फ मेरा और तुम्हारा हो..वक़्त चाहे जैसा हो..हालात चाहे जैसे हो..हमेशा साथ हो ...

एक एहसास इश्क का किसी भी दुख में हम एक दूसरे को..सांत्वना दे सके या नही,पर साथ बैठ कर जी भर रो कर...एक दूजे को सम्हालते रहे...

इक कसम सिर्फ मेरे और तुम्हारी हो..छोड़ कर एक-दूसरे का साथ..हम कभी ना जाए..सांसे जितनी भी इक-दूजे के जीवन से बंधी रहे.. 

सुनो एक बात सिर्फ मेरी हो,

तुम्हारे सारे दुख,तुम्हारी सारी असफलताएं..तुम्हारी हर कमजोरी मेरी हो...

मेरी सारी खुशियाँ...तुम्हारी हो....

हां एक छोटिसी कहानी सिर्फ तुम्हारी और मेरी हो...!!

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