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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Love you ...

 शिव कौन कहता है कि आप हमसे दूर हो .. आप यही हो  मेरे आस पास .. हर पल हर एहसास में..मेरे दिल में मेरी धड़कन बनकर  धड़कते हो कैसे कह दू दूर हो ..आपको कितनी बार सामने खड़ा पाया है मैंने वहीं आपकी चिरपरिचित मुस्कान के साथ ..आप हवा महक बनकर खुशबू से महक ते हो .. इन हवाओं में आपका गूंजता है .. आपका स्पर्श जो मैंने महुसुस किया है . .. वो अभी तक मेरे बदन पर वैसा ही है .. हां पहले आप थे मेरे साथ साकार रूप बनकर अब आप भी मेरे ईश्वर की तरह निराकार रूप बनकर रहते हो हमेशा हां इसलिए मैंने हमेशा शिव के रूप में देखा है आपको .. आप मेरी रूह हो शिव ..जैसे रूह के बिना इस शरीर का कोई अस्तिव नहीं वैसे ही आप के इस प्रेम के बिना हम कुछ नहीं है ..

शिव आपके लिए मेरा प्रेम मेरे ईश्वर सा है ..! मुझे आपको पाना नहीं आपमें विलीन हो जाना है ..! आपसे दूर रहकर आपको बिना देखे भी हम ऐसे ही आपको चाहते रहेंगे

 हमेशा मेरे "आराध्य" की तरह  ...!!

हां आप मेरे आराध्य हो आप मेरे " शिव" हो ...!!




Comments

  1. रूह से जुडा रिश्ता पास हो ना हो
    उसका अहसास सबसे ख़ास होता है ।

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