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Diary ...
तुम्हारे जाने के बाद जिंदगी एक रूटीन सी हो गई है .. या यूं कहो किसी स्क्रिप्ट सी पर इसमें कोई ट्वीस्ट नही है .. सब कुछ तय है सुबह उठना है .. खाना बनाना है और ऑफिस के लिए निकलना है .. हां इस बीच बच्चा कभी कभी जिद करता है मम्मा ऑफिस ना जाओ आज भी कर रहा था .. और आज फिर हम उसे अकेले रखकर जा रहे इसीलिए रो रहा था .. जैसे हम कभी रो देते है की क्यों तुम हमे यूं छोड़ कर चले गए ..
अब एक नया प्रोजेक्ट भी चल रहा तो वहा जाती हूं .. हैरानी की बात ये है की रिक्शावाले को पता होता है की हमे जाना कहा है पर हम अब तक अपने मंजिल की तलाश में है ..हमे अपनी बहुत सी नाकामी पर नाज रहा है उनमें से एक तुम्हारा ना मिलना है .. !
सोचती हूं अब मुझे जिंदगी से क्या चाहिए तो हम उस तरह अपनी मंजिल का नाम दे .. पर अब शायद कुछ चाहिए भी तो नही .. ! तो क्या हमारी अब कोई मंजिल नहीं है .. क्या हम यूंही रास्ते पर भटकते रह जाएंगे .. फिलहाल तो कुछ भी नही पता जब हम जान जायेंगे तो उसदिन वो भी लिख देंगे .. कईयों के लिए उनकी मंजिल कामयाबी और पैसा होती है .. शायद इसलिए की कामयाबी अलादीन के उस चिराग की तरह होती है जो हर किसी को नही मिलती .. और हर कोई अलादीन भी तो नही होता ..!!
मगर सोचती हूं जिन्होंने कामयाबी और पैसा हासिल कर लिया वो भी तो कुछ की तलाश में है ..!
चलो अब आफिस आ गए अपनी आज की मंजिल पर ..
जिंदगी की मंजिल तो अभी
खैर ढूंढनी बाकी है ...!!
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