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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Life

 उदासी से घिरी जिदंगी में तुम अचानक आये और अप्रत्याशित सा हमारे जीवन का हिस्सा बन गए तुम्हारे नजरिए ने मेरे स्याह चेहरे का रंग परिवर्तन कर दिया हां तुमने हमे जीना सिखाया ..  तुमने शायद हमे खुद से मिलाया और फिर धीरे-धीरे हमारे अंदर के अटूट उदास हिस्से को मुझसे अलग कर दिया.. तुम पता नही अचानक से दूर हुए पर तुम्हारा लिखा तुम्हारी तस्वीरे हमेशा मेरे साथ रही .. तुम्हारी इस उपस्थितिने हमें हर पल एहसास दिलाया मेरे उस हिस्से का जिसको हम हमेशा के लिए नकार चुके थे.. वो हिस्सा जो कभी किसी उपस्थिति के अभाव की भेंट चढ़ चुका था तुम्हारी मौजूदगी ने फिर से हमे जीने की एक उम्मीद दी है ..

हाँ एक नयी शुरूआत में अकेले रह जाने का डर होता है वो मुझे भी रहा हमेशा लेकिन ..अभी अकेलेपन से उतना ही  लगाव है जितना तुम्हारे साथ जीने में है तुम्हारा ये यकीन दिलाना जीवन में अभी बहुत कुछ शेष है..और मेरी कहानी का एक महत्वपूर्ण किरदार जो में खुद हू मेरी जीवन रूपी मैट्रो में मेरा इंतज़ार कर रहा है..

तुम्हारा ये यकिन विश्वास ने मुझे उस मैट्रो में यात्रा की प्रारम्भ की और लेकर गया, जिंदगी तुमने ये भी सिखाया अगर कोई नया किरदार हाथ बढ़ाए तो अपना हाथ पीछे मत खींचो क्योंकि ठुकराए जाने के दर्द से हम गुजर गए है और हमसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता है.. इसलिए मैंने तय किया की अब में जिन्दगी के जो अधूरें किस्से है उन्हे  जोड़ एक कहानी बुनु.. एक ऐसी कहानी जिसमें हर दुःख के बाद सुख पर विश्वास हो, जिद और अपनापन हो, जोश और जुनून हो, मकसद और कामयाबी हो, एक सफर हो जिसमें कभी-कभी बिछडना हो परन्तु फिर मिलना हो और फिर  समय के अंत में ठहर जाना हो... सुनो तुम यूंही रहना मेरी कहानी के वो क़िरदार बनकर जिसके बिना ये कहानी कभी पूरी नहीं होगी .. !

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