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Love

  बैठा हूँ उसी छत के कोने में, जहां कभी हम दोनों बैठा करते थे। वो चांद, वो सितारे, आज भी वहीं हैं, पर अब उनकी रौशनी कुछ फीकी लगती है.. तब कुछ बातें तुम्हारी होती थीं, और हम हल्के से मुस्कुरा देते थे.. तुम्हारी आंखों में शर्म का वो प्यारा सा एहसास, अब सिर्फ एक याद बनकर रह गया है.. वो चांद अब भी वही है, पर उसकी चांदनी में वो पहले सी चमक नहीं.. तारों की टोली भी अब कुछ अधूरी लगती है, जैसे हमारे रिश्ते की तरह कुछ कम हो गई हो.. कभी ये जगह हमें सुकून देती थी, अब बस यादों का भार लिए चुपचाप खामोश खड़ी है.. जहां कभी बातें होती थीं,वहा अब बस ख़ामोशियाँ घिरी रहती हैं.. यादों की गीली लकड़ियाँ, मन के किसी कोने में धीमे-धीमे सुलगती रहती हैं वो ठंडी आहटें अब भी हैं, पर वो गर्मी जो दिल को छूती थी, कहीं खो गई है आंखें अब पसीजती नहीं, वो आंसू भी शायद थक गए है.. बस एक भारीपन है, जो इस जगह से निकलने का नाम ही नहीं लेता.. अब इस छत पर आना, सुकून कम और दर्द ज़्यादा देता है.. वो समय तो बीत गया, पर यादें आज भी यहां की हर ईंट में बसी हैं.. शायद, कुछ चीज़ें वैसे ही रह जाती हैं— मद्धम, अधूरी, जिन्हें समय भी बदल नह

Banaras

बहुत सुने है तेरी संकरी गलियों के किस्से,इनमें खोए तो जाने कि दुनिया बसती है इन्हीं में, बनारस बस तबसे हमे इश्क़ है तुमसे ..सुना था मैंने हमेशा कि जो खुद खुश नहीं वो दूसरो को भी खुश नहीं रख सकता,पर कितनी अजीब बात है न कि इस मणिकर्णिका के शहर ने हमें जिंदगी के मायने सिखा दिए..!

जिंदगी तो चलने का नाम है, ये रुकती कहाँ है, पर ना जाने क्यों मुझे तुममें हमेशा ठहरने मन हुआ है .. सुनो इश्क इतनी फरियाद है तुमसे कि जब भी वापस आये वैसे ही बाहें फैला कर स्वागत करना जैसे पहली द़फा किया था..और समेट लेना खुद मे ही कहीं.. जानते है समय रफ़्तार से बीत रहा है सब कुछ कितनी जल्दी, बस पीछे छूटता जा रहा है..! मगर फिर भी सुनो..! तुमने सभी दुखों को थोड़ा किनारे रख जिंदगी में एक नया सा सफर करना सिखाया है फिर से धरती बन

 आसमान से प्रेम करना सिखाया है..!!

~तुम्हारी अरु





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