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Banaras
बहुत सुने है तेरी संकरी गलियों के किस्से,इनमें खोए तो जाने कि दुनिया बसती है इन्हीं में, बनारस बस तबसे हमे इश्क़ है तुमसे ..सुना था मैंने हमेशा कि जो खुद खुश नहीं वो दूसरो को भी खुश नहीं रख सकता,पर कितनी अजीब बात है न कि इस मणिकर्णिका के शहर ने हमें जिंदगी के मायने सिखा दिए..!
जिंदगी तो चलने का नाम है, ये रुकती कहाँ है, पर ना जाने क्यों मुझे तुममें हमेशा ठहरने मन हुआ है .. सुनो इश्क इतनी फरियाद है तुमसे कि जब भी वापस आये वैसे ही बाहें फैला कर स्वागत करना जैसे पहली द़फा किया था..और समेट लेना खुद मे ही कहीं.. जानते है समय रफ़्तार से बीत रहा है सब कुछ कितनी जल्दी, बस पीछे छूटता जा रहा है..! मगर फिर भी सुनो..! तुमने सभी दुखों को थोड़ा किनारे रख जिंदगी में एक नया सा सफर करना सिखाया है फिर से धरती बन
आसमान से प्रेम करना सिखाया है..!!
~तुम्हारी अरु
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