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Story
दिनों ने जाने कितने कैलेंडर बदल डाले, कितनी तारीख़ें बदल डाली पर आज भी उस आग का लाल रंग और उस धुएँ का काला रंग मन के आसमान पर बिखरा हुआ है, उन लपटों की तपिश आज भी कभी-कभी मेरे चेहरे को छू जाती है, मानो याद दिला रही हो कि कोई तुम्हारा बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है...!!
अजीब बात है ना हम सफ़र करना शुरू करते हैं तो मंज़िल पहले से तय कर लेते हैं कि हमें यहां जाना, ठीक ऐसे ही मृत्यु भी तो है, एक छोटे या लम्बे जीवन के सफ़र से पहले ये निश्चित हो जाता है, कि इस रोज़ मृत्यु आएगी और आपको अपने साथ ले जाएगी, फिर भी हम इतना दिखावा करते हैं जैसे मृत्यु कोई पहली बार हुई हो...हम ये भूल जाते है कि हम कई बार मर चुके है इसी जिंदगी में ..
इक रोज़ उसने मुझसे कहा था "देखना एक दिन तुम्हें जीवन से ज़्यादा मृत्यु का इंतज़ार रहेगा इसलिए नहीं कि तुम हार चुकी होगी बल्कि इसलिए कि तुम्हें अधूरी कहानियां नहीं पसंद और ये जीवन वो कहानी पूरी करने नहीं देगा, तब इक रोज़ मृत्यु हमारी उस अधूरी कहानी को पूरा करने का ज़रिया बनेगी"...कभी-कभी हम लोगों की एहमियत तब तक नहीं समझते जब तक हम उन्हें खो नहीं देते, पर क्या हम सच में उन्हें खो देते हैं, क्योंकि हमें भी तो एक दिन वहीं जाना होगा, तो ये चंद पलों का बिछड़ना नहीं हुआ, आख़िरकार हम सभी को अपनी-अपनी अधूरी कहानियां पूरी करनी होती है..!
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मै अपनी प्रेमीका का इंतजार करते करते ईश्वर से अनेकों प्रश्न पूछे है । दिल रोने का थमता ही नहीं। आंसू थमते नहीं ये दिल का हाल ईश्वर और बिछड़े प्रेमी ही जानते है ।
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