Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Moments

 : - तुमने पूरी पुस्तक पढ़ ली?

:- हाँ बहुत अच्छी किताब थी..

:- अच्छा 

:- हां पता है जब मै पढ़ रहा था मुझे हर वाकये पर तुम्हारा चेहरा झलक जाता..

खास करके जहाँ नायिका बादलों से कहती है, "ओ बादल तुम्हे ये आसमां कितना प्यारा


लगता है, ये दिन और ये रात, जैसे जिंदगी के ऊँच और नीच और क्या था वो..

:- जैसे बादलों में एक छोटा सा घर जैसे आसमां का छत , हो एक घर भी ..

और दोनो चुप हो जाते है , और लड़की की आंखें शर्म से झुक जाती है .. और लड़का उसके चेहरे की तरफ ऐसे देखता जैसे कुछ पढ़ता हुआ ( शायद कुछ ढूंढ रहा था ,कुछ अनकहा ,जो पढ़ सके )

उन दोनो के आपसी प्रेम मे किताबी प्रेम घूल कर पहाड़ों मे गुंजने लगा...प्रेम अक्सर सपने दिखाता है ..और एक अलग दुनिया में ले जाता है ..और तभी पेड़ों ने हवाओं को उनके चेहरे पर धकेल दिया.. दोनो सपने से बाहर थे .. 


( कुछ तो था शायद उस वक्त जो अनकहा रह गया )



Comments

Popular Posts