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डियर दिसंबर, तुमसे इश्क़ क्यों है, ये बताना आसान नहीं ..तुम्हारे आते ही नए साल की गिनती शुरू हो जाती है,पर मेरे लिए तुम सिर्फ एक महीना या तारीख नहीं, एक दरवाजा हो—नए सफर, नई कहानियों और नए रास्तों का जो मेरी मंजिलों के और भी मुझे करीब लेकर जाता है ... तुम्हारी ठंडी हवाएं जब चेहरे को छूती हैं, लगता है जैसे पुराने गमों को उड़ाकर ले जा रही हो.. हर बार उसी मलबे में एक नई राह दिखाई है.. शायद इसलिए मैं तुम्हें हर बार एक उम्मीद की तरह देखती हूं.. तुम्हारे आते ही पेड़ों से गिरते पत्ते मुझे सिखाते हैं, कि कुछ छोड़ देना भी जरूरी होता है आगे बढ़ने के लिए.. तुम्हारी शफ्फाक शामों में, जब सूरज धीमे-धीमे डूबता है, मैं खुद को तुम्हारी गोद में एक बच्ची की तरह पाती हूं.. सहमी हुई, पर भरोसे से भरी...तुम्हारे साथ मैं अपना सारा बोझ हल्का कर देती हूं...तुम्हारी दस्तक हमेशा रहती है, एक दुआ की तरह, एक बदलाव की तरह.. तुम्हारी रूह की सर्दियों में जीते हुए, गुजरे हुए साल के लम्हों को फिर से जीती हूं ... ताकी इस गुजरे हुए साल की यादें छोड़कर आगे नए साल में बढ़ पाऊं .. नई उम्मीदों के साथ .. कुछ साथी जो साथ चल...
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Moments
: - तुमने पूरी पुस्तक पढ़ ली?
:- हाँ बहुत अच्छी किताब थी..
:- अच्छा
:- हां पता है जब मै पढ़ रहा था मुझे हर वाकये पर तुम्हारा चेहरा झलक जाता..
खास करके जहाँ नायिका बादलों से कहती है, "ओ बादल तुम्हे ये आसमां कितना प्यारा
लगता है, ये दिन और ये रात, जैसे जिंदगी के ऊँच और नीच और क्या था वो..
:- जैसे बादलों में एक छोटा सा घर जैसे आसमां का छत , हो एक घर भी ..
और दोनो चुप हो जाते है , और लड़की की आंखें शर्म से झुक जाती है .. और लड़का उसके चेहरे की तरफ ऐसे देखता जैसे कुछ पढ़ता हुआ ( शायद कुछ ढूंढ रहा था ,कुछ अनकहा ,जो पढ़ सके )
उन दोनो के आपसी प्रेम मे किताबी प्रेम घूल कर पहाड़ों मे गुंजने लगा...प्रेम अक्सर सपने दिखाता है ..और एक अलग दुनिया में ले जाता है ..और तभी पेड़ों ने हवाओं को उनके चेहरे पर धकेल दिया.. दोनो सपने से बाहर थे ..
( कुछ तो था शायद उस वक्त जो अनकहा रह गया )
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