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बचपन के पन्नो से
सबके अपने बचपन की कहानी के किस्से होते है लेकिन आशू उसका बचपन ? हम्म कैसा था उसका बचपन ?
जब भी पीछे मुड़कर अतीत में झाक कर देखती हु टटोलती हूं अपने बचपन कहा है ? कुछ नही मिलता कुछ दर्द के सिवा बचपन था ही कहा उसका ?? शायद उम्र से पहले बड़े होने का अभिशाप मिला था आशू को नन्ही आशू जबसे कुछ समझ आया तब बस एक ही सवाल होता मां ऐसी क्यों है उसकी दूसरों की तो नही है ऐसी ... कभी उसे पास नही लेती हमेशा दुत्कार देती ..आशू ढूंढती रहती प्रेम को ममत्व को क्या ही चाहिए होता उसे प्रेम बस और कुछ भी तो नहीं ..
बड़े होकर भी बस शायद उसने वही ढूंढा ..पता नहीं शायद कुछ आत्माएं शापित होती हैं और अब आशू खुद पत्थर हो गई ...
अब उसे खुद प्रेम से नफरत है बेहद नफरत ...!!
और उसकी संवेदनाएं जैसे मर गई है ..खुद को पाषाण बनते देख उसकी आत्मा भी मर गई शायद यही ठीक है यही
नियति है ...!!
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