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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Emotions of Daughters

Daughters

एक घर की चार दीवारों में,

बंधी रही वो बेटी अनगिनत सवालों में..

पिता के घर में पिता और भाई की मर्जी से,

ढलती रही वो उनकी खुशियों की खातिर..


पति के घर में पति की आवाज़ से,

चलती रही वो उनकी राहों पर...

कभी ना पूछा गया, "तुम क्या चाहती हो?",

उसकी खुद की ख्वाहिशें रह गईं अधूरी..


उसके अपने सपने, उसकी अपनी उम्मीदें,

दब गईं उसके अपने ही घर की चाहतों में..

क्या वो नहीं चाहती थी उड़ान भरना?

क्या वो नहीं चाहती थी अपनी पहचान बनाना?

आज भी वो पूछती है खुद से,

क्या मेरी भी कोई ख्वाहिश हो सकती है?

क्या मेरी भी कोई आवाज़ हो सकती है?

क्या मैं भी अपने लिए जी सकती हूँ?


ये ब्लॉग उन सभी लड़कियों के लिए है,

जिन्होंने कभी नहीं पूछा, "मैं क्या चाहती हूँ?"

उनकी अनसुनी ख्वाहिशों को समर्पित,

एक कदम उनकी आवाज़ बनने की ओर..

मुझे आशा है कि यह ब्लॉग उन सभी लड़कियों की भावनाओं को व्यक्त करता है जिन्हें कभी नहीं पूछा गया कि वे क्या चाहती हैं। यह उनकी आवाज़ को बुलंद करने का एक प्रयास है..!

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