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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

February

हर बार इस प्रेम के महीने के चौखट पर खाली झोली लेकर भीख मांगी है ... मगर हर बार भीख मैं मायूसी मिली है  ..

फ़रवरी लौट आई है, लेकिन तुम अब तक नहीं लौटे.. वसंत की इस बारीश में इक सूनापन है, तुम्हारी यादें मेरी राह देख रही हैं.. जब भी तुम्हारी याद आती है, एक उदासी की धुंध छा जाती है.. कई दिनों तक यूंही रूठे रहती है मगर यह धुंध छँटने का नाम ही नहीं लेती..


तुम बिन मेरी सुबहें, दोपहरें और शामें सब उदास हैं. इस प्यार के महीने में, जब हर जगह रंग बिखरते हैं, तुम्हारी अनुपस्थिति की खलिश और भी गहरी महसूस होती है..इस साल का लीप ईयर एक और दिन बढ़ा देता है इस बेचैनी और उदासी के सफर को, जैसे समय भी खुद को तुम्हारी वापसी की प्रतीक्षा में रोक रखा हो,,


प्यार की इस महकती मौसम में, जब हर दिल में नये इश्क के रंग बिखरते हैं, मेरी आँखों की भीख, मेरी बाहों की खामोशी, सब तुम्हारे लौटने की दुआ कर रहे हैं,,.. तुम्हारी यादें मेरे हर दिन को स्याह बना देती हैं, जैसे एक अनकही सी बात हर पल मेरे दिल को चुभ रही हो..तुम्हारी अनुपस्थिति का असर मेरे जीवन की हर सुबह, दोपहर, और शाम पर पड़ रहा है.. जब फूल खिलते हैं और पेड़ हरे-भरे होते हैं, तब भी मेरे दिल की उदासी को कोई रंग नहीं भर पाता.. फ़रवरी की ठंडी हवा और चटक धूप भी मेरी बेचैनी को कम नहीं कर पाती..इस मौसम में, जब हर कोई अपने प्यार को महसूस कर रहा है, मेरे दिल में सिर्फ तुम्हारी कमी का एहसास है..!!


तुम्हारी मैं !


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