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Dear December ❣️

 डियर दिसंबर, तुमसे इश्क़ क्यों है, ये बताना आसान नहीं ..तुम्हारे आते ही नए साल की गिनती शुरू हो जाती है,पर मेरे लिए तुम सिर्फ एक महीना या तारीख नहीं, एक दरवाजा हो—नए सफर, नई कहानियों और नए रास्तों का जो मेरी मंजिलों के और भी मुझे करीब लेकर जाता है ... तुम्हारी ठंडी हवाएं जब चेहरे को छूती हैं, लगता है जैसे पुराने गमों को उड़ाकर ले जा रही हो.. हर बार उसी मलबे में एक नई राह दिखाई है.. शायद इसलिए मैं तुम्हें हर बार एक उम्मीद की तरह देखती हूं.. तुम्हारे आते ही पेड़ों से गिरते पत्ते मुझे सिखाते हैं, कि कुछ छोड़ देना भी जरूरी होता है आगे बढ़ने के लिए.. तुम्हारी शफ्फाक शामों में, जब सूरज धीमे-धीमे डूबता है, मैं खुद को तुम्हारी गोद में एक बच्ची की तरह पाती हूं.. सहमी हुई, पर भरोसे से भरी...तुम्हारे साथ मैं अपना सारा बोझ हल्का कर देती हूं...तुम्हारी दस्तक हमेशा रहती है, एक दुआ की तरह, एक बदलाव की तरह.. तुम्हारी रूह की सर्दियों में जीते हुए, गुजरे हुए साल के लम्हों को फिर से जीती हूं ... ताकी इस गुजरे हुए साल की यादें छोड़कर आगे नए साल में बढ़ पाऊं .. नई उम्मीदों के साथ .. कुछ साथी जो साथ चल...

धर्म....!!

कुरुक्षेत्राला'धर्मक्षेत्र' असे संबोधून महर्षी व्यासांनी काही कोडी सोडवली तर काही निर्माण केली दररोज सूयोर्दयाला शंखनाद करून युद्ध सुरू व्हायचे आणि सूर्यास्ताला शंखनादानेच संपायचे युद्ध सुरू होण्यापूवी त्याचे नियम दोन्ही पक्षांनी एकत्र बसून ठरवले होते  त्यांचे पालन झालेच असे नाही...त्यांनी कुरुक्षेत्राला धर्मक्षेत्र मानले व ती धर्मयुद्धाची रंगभूमी बनवली.भारतीय युद्धात कौरव आणि पांडव या दोघांनीही अनेकदा युद्धनीतीचा भंग केला कौरवांनी अभिमन्यूला कपट करून ठार मारले; तर अर्जुनाने रथातून उतरलेल्या व हाती शस्त्र नसलेल्या महारथी कर्णावर बाण सोडला..'नरो वा कुंजरो वा' अशी हेतुपुरस्सर संदिग्धता ठेवून दोणांचा तेजोभंग करण्यास स्वत: धर्मराज युधिष्ठिर कचरले नाहीत तरीही व्यासांनी पांडवांचा पक्ष धर्माचा मानला.याचे कारण त्यांचा अंतिम सत्यावर विश्वास होता... ?

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