Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Phir vahi sham ....

दूर तलक फ़लक में शाम की लालिमा बिखरी हुई है इस शाम के साथ साथ तुम्हारी यादें यूंही बिना कोई शर्त,बिना किसी सबब के चली आती हैं। बहुत ज्यादा तो नहीं पर एक ही चीज पूछनी थी तुमसे ,हर वक़्त तो नहीं ,हर रोज़ तो नहीं, लेकिन क्या तुम भी कभी एक ढलती शाम में मुझे याद करते हो।

Comments

Popular Posts