Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Kabhi kabhi

कभी कभी मन वश में नहीं होता,

चाहता है तुम्हें सामने बैठाऊँ और
वो सब कुछ कह दूँ जो कभी नहीं कहा

तुम्हारे इंतज़ार वाली रातों के किस्से, मायूसियों में उभरी मुस्कान टूट के जुड़ना और जादा हौसलों से तुम्हे बिना बताये चाहना चाहते रहना ,

वो सब कुछ जो सिर्फ़ तुम्हारे लिए है
जो कहा नहीं कभी...!!

Comments

Popular Posts