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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Ham hai ...

अकेले में कभी देखना तुम तारों को ,
कोई जो तारा तुम्हें देखकर टीम टिम-टिमाऐ
तो समझ लेना वो हम हैं....

तुम खामोश होकर कभी यूँ ही टहलना,जो चली भीनी हवा तुमसे लिपटकर
तो समझ लेना वो हम हैं....

यूँ ही अकेले में जब कभी तुम जो सोच के कुछ मुस्कुराओ ,
उस पल जो सुकून मिले तुम्हारे मन को ,तो समझ लेना वो हम हैं..

कभी यूँ ही तुम तन्हा होकर छत पर टहलो,
और जो बहे पुरवाई तुम्हारे दामन से लिपट कर
तो समझ लेना वो हम हैं....!!


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