Skip to main content

Featured

तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Kabhi barish k waqt aana

कभी बारिश के वक्त आना मुझे दूर तक तुम्हारा हाथ थामे चलना है सड़क पर ...ढेर सारा वक्त लाना मेरे लिए वो वक्त जो सिर्फ मेरा हो ...!दुनिया से कोई वास्ता न हो हमारा किसी टपरी की वो कुल्हड़ वाली चाय.. ना तुम कुछ कहना और ना ही मै कुछ बोलूं...
यू ही हाथ में हाथ डाले आँखों से तुम कहना और आँखों से मैं सब सुन लुंगी यू ही कही बैठ कर ...
सुनो कभी बारिश के वक्त आना...!!

Comments

Post a Comment

Popular Posts