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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Kya tum muzse prem karte ho....

बोलो न ,तुम मुझसे प्रेम करते हो क्या ?
आज फैसला हो ही जाएं ...मैं नही जानता प्रेम क्या होता है बस इतना जानता हूँ मुझे दर्द मिलता है ,मै मजबूत हो जाता हूँ पर दर्द में देखकर मै तड़प सा जाता हूँ ,अपने दिल को मनाता हूँ ,बहलाता हूँ पर तुम्हे रोता देखकर आँसू बहाता हूँ ,

तुम्हारी खुशी की खातिर अपनो से टकराता हूँ
तुम्हारी मुस्कान देख, मैं अपने गम भूल जाता हूँ
सारे जहाँ की तकलीफ़ो से डटकर टकराता हूँ ,
कभी लफ्जों में हाले दिल सुना नही पाता हूँ
अपनों से भी ज्यादा तुम्हे अपने करीब मै पाता हूँ.. ...!!

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