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तुम

 तुम भागते क्यों हो? : डर लगता है? : किस बात का डर लगता है ? मुझसे, या खुद से? प्यार से… या मेरी आँखों में दिखाई देने वाली अपनी परछाई से? : हां शायद ??  : अच्छा ? अजीब हो तुम…अब तक भीगने का सलीका नहीं आया तुम्हें…बारिश से भी, मोहब्बत से भी ! तुम सोचते हो मैं तुम्हें बाँध लूँगी? है न ?? : कितने सवाल पूछती हो ?? सवालों की पुड़िया कही की ! चलो मैं जा रहा हूं !  : वापस भाग लिए तुम न ! : क्या मैं न! : कुछ नहीं 

Sadak....

मेरे ख़यालो में एक सड़क है, उस सड़क पर हमेशा बारिशों का मौसम रहता है

मै अक्सर उस सड़क पर तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ ,

तुम चलोगे साथ मेरे, तुम्हारे कंधे पर सिर टिकाए हमारी फेवरेट बाईक पर.. ??
बेवजह सी कभी न खत्म होने मेरी वाली बाते
कभी दो कदम मेरे साथ तो चल...

तुम खुद को भूल कर मुझ में घुल जाना कभी बेवजह

कभी तुम मुझ में खोकर में खुद को तलाशना 

सुनो
तुम्हारे साथ होने तक ही महसूस होती है  जिंदगी ,न तुम्हारे आने से पहले न तुम्हारे जाने के बाद..!!

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